एएमयू में क्या है एडमिशन के लिए आरक्षण नीति? कैसे मिलता है एडमिशन

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देश के तमाम कॉलेजों में अलग-अलग वर्ग के छात्रों के एडमिशन के लिए सीटें आरक्षित रहती हैं। ऐसे में एएमयू में क्या है आरक्षण नीति आज के इस आर्टिकल में हम आपको बतायेंगे।

अलीगढ़: अक्सर तमाम विश्वविद्यालयों में अलग-अलग वर्गों के उम्मीदवारों के लिये सीटें आरक्षित रहती हैं, लेकिन एएमयू को अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त होने के कारण यहां एडमिशन लेने वाले उम्मीदवारों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है। एएमयू में एक आंतरिक आरक्षण नीति बनाई गई है। इस नीति के तहत सभी कोर्सेज की 50 फीसदी सीटें उन स्टूडेंट्स के लिए आरक्षित रहती हैं जो इस यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त स्कूल या कॉलेजों से पढ़कर आते हैं। इस लिहाज से यहां आरक्षण का लाभ एसटी, एससी और ओबीसी के आधार पर नहीं बल्कि इन स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाई करने वालों के लिए सीटें आरक्षित रहती हैं।

एएमयू में कैसे होता है एडमिशन?
एएमयू के अंडर ग्रेजुएट कोर्सेज में एडमिशन के लिए उम्मीदवारों को सीयूईटी की परीक्षा देनी होती है। परीक्षा के स्कोर के आधार पर एएमयू में एडमिशन मिलता है। एएमयू के बीए, बीकॉम और बीएससी आदि कोर्सेज में एडमिशन के लिए अभ्यर्थी का मिनिमम 50 फीसदी स्कोर क्वालिफाइंग कट-ऑफ होता है। बीएससी ऑनर्स में एडमिशन के लिए लड़कों के एडमिशन के लिए एक से 310 तक की रैंक होनी चाहिए। वहीं लड़कियों के लिए यह रैंकिंग 311 से 620 तक होती है। हालांकि यहां कुछ कोर्सेज में एडमिशन के लिए अलग से प्रवेश परीक्षा भी कराई जाती है, जिसमें सफल होने वाले उम्मीदवारों को एडमिशन दिया जाता है।

एएमयू से 10वीं और 12वीं करने वाले उम्मीदवारों को यहां एमबीबीएस में एडमिशन आसानी से मिल जाता है। यूनिवर्सिटी से मान्यता प्राप्त स्कूल-कॉलेजों से दसवीं और बारहवीं करने वाले स्टूडेंट्स के लिए यहां के मेडिकल कॉलेज की 50 फीसदी एमबीबीएस सीटें आरक्षित रहती हैं।

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